“मेरा भारत महान……”
वीर
चले है देखो
लड़ने,
दुश्मन से सरहद पर भिड़ने,
“तिरंगा” शान से लहराता,
शुभाशीष दे भारतमाता,
जोश से सीने लगे है फूलने,
कदम लगे है आगे चलने,
अपनों से ले रहे बिदाई,
माँ की छाती है भर आई,
शहीद हो पर ना पीठ दिखाना,
भारत माँ की लाज बचाना,
हुक्म यहाँ की माँ है करती,
बेटे की कुर्बानी से नहीं डरती,
दोनों ही करते है कुर्बान,
माँ ममता को,जान को जवान,
इसीलिए तो है “मेरा भारत महान”
सबका प्यारा हिन्दुस्थान……यह हिंदुस्तान है अपना
हमारे युग-युग का सपना
हरी धरती है नीलगगन
मगन हम पंछी अलबेले
मुकुट-सा हिमगिरि अति सुंदर
चरण रज लेता रत्नाकर
हृदय गंगा यमुना बहती
लगें छ: ऋतुओं के मेले
राम-घनश्याम यहाँ घूमे
सूर-तुलसी के स्वर झूमे
बोस-गांधी ने जन्म लिया
जान पर हँस-हँस जो खेले
कर्म पथ पर यह सदा चला
ज्ञान का दीपक यहाँ जला
विश्व में इसकी समता क्या
रहे हैं सब इसके चेले।
- डॉ. गोपालबाबू शर्मा
दुश्मन से सरहद पर भिड़ने,
“तिरंगा” शान से लहराता,
शुभाशीष दे भारतमाता,
जोश से सीने लगे है फूलने,
कदम लगे है आगे चलने,
अपनों से ले रहे बिदाई,
माँ की छाती है भर आई,
शहीद हो पर ना पीठ दिखाना,
भारत माँ की लाज बचाना,
हुक्म यहाँ की माँ है करती,
बेटे की कुर्बानी से नहीं डरती,
दोनों ही करते है कुर्बान,
माँ ममता को,जान को जवान,
इसीलिए तो है “मेरा भारत महान”
सबका प्यारा हिन्दुस्थान……यह हिंदुस्तान है अपना
हमारे युग-युग का सपना
हरी धरती है नीलगगन
मगन हम पंछी अलबेले
मुकुट-सा हिमगिरि अति सुंदर
चरण रज लेता रत्नाकर
हृदय गंगा यमुना बहती
लगें छ: ऋतुओं के मेले
राम-घनश्याम यहाँ घूमे
सूर-तुलसी के स्वर झूमे
बोस-गांधी ने जन्म लिया
जान पर हँस-हँस जो खेले
कर्म पथ पर यह सदा चला
ज्ञान का दीपक यहाँ जला
विश्व में इसकी समता क्या
रहे हैं सब इसके चेले।
- डॉ. गोपालबाबू शर्मा
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